साक्षीभाव
विचार केंद्रित कर लिए जाएँ, तो ऊर्जा का जागरण होता है। उन्हें बिखरे ही रहने दिया जाए, तो वे ऊर्जा में बाधक बनते हैं। कण यदि बिखरी अवस्था मे यों ही भटकते रहें, तो साँस से लेकर पर्यावरण तक सभी जगह अवरोध उत्पन्न करते हैं, उन्हें सँभाल लिया जाए, तो ऊर्जा में बदल जाते हैं। विचारों का बिखराव रोकने के लिए रेकी मास्टर 'साक्षीभाव' साधने के लिए कहते हैं। आरंभ इस अभ्यास से किया जाता है कि मन में जितने भी भाव या संकल्प उठते हैं, उन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की जाए। उन्हें उठते और तिरोहित होते हुए चुपचाप देखते रहें।
When thoughts are concentrated, energy is awakened. If they are allowed to remain scattered, they become a hindrance in energy. If the particles keep wandering like this in a scattered state, then they create obstacles everywhere from the breath to the environment, if they are handled, then they get converted into energy. To stop the scattering of thoughts, Reiki masters ask to practice 'sakshibhav'. It is started with the practice of not reacting to whatever feelings or thoughts arise in the mind. Watch them silently rising and disappearing.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...