वैदिक धर्म
वैदिक धर्म में चार पुरुषार्थ बताये गये हैं - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। मोक्ष की प्राप्ति कैसे हो इसके लिये शास्त्रों में अनेक उपाय बताये गए हैं। हम अविद्या अर्थात्त भौतिक विज्ञान के माध्यम से मृत्यु अर्थात् दुःखों के पार जाते हैं और विद्या से अमृतत्व को प्राप्त करते हैं। कहने का आशय यह है कि जहाँ भौतिक दुःखों के नाश के लिये भौतिक विज्ञान आवश्यक है, वहीँ अमरत्व के लिये विद्या अपेक्षित है। इसीलिए वेद कहता है कि हम उस एक परमात्मा को जानकर ही मृत्यु के चक्र से पार जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य कोई उससे छूटने का उपाय नहीं है।
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महर्षि दयानन्द की निष्पक्षता महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में लिखा है कि यद्यपि मैं आर्यावर्त देश में उत्पन्न हुआ और बसता हूँ, तथापि जैसे इस देश के मत-मतान्तरों की झूठी बातों का पक्षपात न कर यथातथ्य प्रकाश करता हूँ, वैसे ही दूसरे देशस्थ व मत वालों के साथ भी वर्तता हूँ। किसी वीतराग संन्यासी के इन शब्दों से यह...
महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...