वास्तविक स्वरूप
हर व्यक्ति के अंदर खूबियाँ व खामियाँ होती हैं। खूबियाँ तो वह प्रदर्शित करता है, लेकिन खामियों को वह छिपा लेता है। इसी कारण आमतौर पर व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को किसी के सामने उजागर नहीं करना चाहता। वह अपने यथार्थ के भद्देपन को नहीं देखना चाहता है और न ही उसे किसी के समक्ष प्रस्तुत करना चाहता है। यही कारण है कि वह झूठ के आवरण का सहारा लेता है और अपने व्यक्तित्व पर एक मुखौटा चढ़ा लेता है, ताकि लोगों को उसका वास्तिक स्वरूप दिखाई न दे और लोग उसके मुखौटे को ही उसका वास्तविक रूप मानते रहें, लेकिन कभी-न-कभी उसका वह मुखौटा उतर अवश्य जाता है और लोगों को उसकी वास्तविकता का भी पता चल जाता है। वह समय उसके लिए बेहद ही कष्टकारी व अपयश से भरपूर दुखदायी होता है।
Every person has strengths and weaknesses. He shows his strengths, but hides his flaws. For this reason, usually a person does not want to reveal his true nature to anyone. He does not want to see the uglyness of his reality nor does he want to present it to anyone. That is why he resorts to the veil of lies and puts a mask on his personality, so that people do not see his real form and people continue to consider his mask as his real form, but sometimes his That mask must come off and people also come to know about its reality. That time is very painful and painful full of failure for him.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...