प्रलोभन की चुनौती
सुख की खोज में भटक रहे इन्द्रियालोलुप लोग एवं नैतिक दृष्टी से कमजोर चरित्र वाले व्यक्ति जहाँ आसानी से प्रलोभन के शिकार हो जाते हैं तो वहीँ साधकों को भी प्रारंभिक अवस्था में दीर्घकाल तक प्रलोभन की चुनौती का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति दुष्परिणामों को देखते हुए कुछ समय के लिए सँभल भी जाए तब भी प्रलोभन अपना दूसरा रूप धरकर पुनः व्यक्ति को अपने नागपाश में कस लेता है और उसे साधना-पथ से स्खलित कर देता है। यहाँ तक कि सात्विक बुद्धि वाले तक दूषित वातावरण के प्रभाव में प्रलोभनों के शिकंजे में कसते देखे जाते हैं।
While the sensuous people wandering in search of happiness and the morally weak people easily fall prey to temptation, the seekers also have to face the challenge of temptation for a long time in the initial stage. Seeing the adverse consequences, even if the person becomes calm for some time, even then the temptation takes its second form and again tightens the person in its nagpasha and throws him out of the path of spiritual practice. Even those with a sattvik intellect are seen tightening the clutches of temptations under the influence of a polluted environment.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...