सत्य का दामन
हमें कठिन-से-कठिन, प्रतिकूल-से-प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सत्य का दामन थामे रखना है, ईमानदारी का दामन थामे रखना है। हमें हमारे अच्छे कर्मों का तुरंत फल मिलता नहीं देखकर सत्य का दामन नहीं छोड़ना है, ईमानदारी का दामन नहीं छोड़ना है, अच्छाई का मार्ग नहीं छोड़ना है। हमें बुरे कर्मों से प्राप्त होने वाले सुख, वैभव व सफलता के प्रलोभन से हर हाल में बचे रहना है। अनीति से प्राप्त सफलता की अपेक्षा अनंत गुना अधिक सुखद व स्थायी होगी। अनीति से सफलता प्राप्त कर लेने के बाद भी व्यक्ति को अंततः आत्मग्लानि तो होती है और उसे बुरे कर्म, अनीतिपूर्ण कर्म करने का दुःखद परिणाम भी भुगतना ही पड़ता है।
We have to hold on to truth, hold on to honesty even in the most difficult, unfavourable situations. Seeing that we do not get immediate results of our good deeds, we should not give up truth, we should not give up honesty, we should not leave the path of goodness. We have to stay away from the temptation of happiness, glory and success that we get from bad deeds. It will be infinite times more pleasant and permanent than the success achieved by unethical. Even after achieving success from immorality, a person eventually feels self-aggrandizement and he also has to face the sad consequences of doing bad deeds, immoral deeds.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...