आध्यात्मिक विचार
वर्तमान विग्रह एवं विसंगतियों का कारण भी आध्यात्मिक विचारधारा का विरोध ही है। पश्चिम में थैलस से लेकर ह्वाइटहेड तक तथ पूर्व में ऋग्वेद के ऋषिओं से लेकर महर्षि अरविंद तक दर्शन अनुभव प्रधान रहा है, परंतु ये अनुभव इंद्रियों की सीमाओं में सिमटे रहे, यह जरूरी नहीं। इनकी सीमा का विस्तार अतींद्रिय होना भी संभव है, बल्कि आज की परिस्थिति में तार्किक प्रत्यक्षवाद तथा अस्तित्ववाद, सारे एवं अनुभूतियों को इंद्रियों की सीमा में पकडे-जकड़े रहने के बालहठ पर अड़ गए। आध्यात्मिक विचारधारा से उनके वैर-विरोध का कारण उनका यही अज्ञान रहा।
The reason for the present idols and inconsistencies is also the opposition to the spiritual ideology. From Thalas to Whitehead in the west and from the Rishis of Rigveda to Maharishi Aurobindo in the east, philosophy has been the dominant experience, but it is not necessary that these experiences remain within the boundaries of the senses. It is also possible that the expansion of their range is transcendental, but in today's situation, logical positivism and existentialism have stuck to the stubbornness of keeping everything and the experiences within the limits of the senses. This ignorance was the reason for his enmity and opposition to spiritual ideology.
Spiritual Thoughts | Arya Samaj Indore Helpline 9300441516 | Arya Samaj Indore | Arya Samaj Mandir Indore | Arya Samaj Marriage Rules Indore | Arya Samaj Pandits for Gayatri Havan Indore | Aryasamaj Mandir Marriage Helpline Indore | Legal Marriage Helpline conductor Indore | Validity of Arya Samaj Marriage Indore | Arya Samaj Mandir Marriage Helpline Indore | Arya Samaj Pandits for Havan Indore | Court Marriage Indore | Arya Samaj Indore | Arya Samaj Marriage Indore | Pandits for Pooja Indore | Arya Samaj Wedding Ceremony Indore | Legal Marriage Help Indore | Procedure of Arya Samaj Marriage Indore | Arya Samaj Mandir Helpline Indore | Arya Samaj Online | Arya Samaj Wedding Rituals Indore | Legal Marriage Helpline Indore | Arya Samaj Mandir Indore | Procedure of Arya Samaj Wedding Indore | Arya Samaj Mandir Marriage Indore
महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...