काम-परिष्कार
आए दिन प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उलजुल विज्ञापन एवं लेख देखे जा सकते हैं, जो काम-कीचड़ में लथपथ होकर इससे बाहर निकलने का समाधान दिलाते हैं, जो पूर्णतया सच नहीं है। इसी सोच के चलते एक बड़ा वर्ग इसको अपनी नियति मान लेता है, इसको संयमित, परिष्कृत करने के बजाय इसके हाथ का खिलौना बकर जीवन के पतन-पराभव एवं दुर्गति की पटकथा लिख रहा होता है और अब तक काम की माया कुछ समझ आती है, तब तक देर हो चुकी होती है। समय रहते इंद्रिय संयम, काम-परिष्कार के दृढ़ कदम उठाए गए तो बात कुछ और ही होती।
Every day one can see frivolous advertisements and articles in reputed magazines, which provide a solution to get out of it by getting soaked in the work-sludge, which is not entirely true. Due to this thinking, a large section considers it as their destiny, instead of controlling it, refining it, its toy goat is writing the script of life's downfall, defeat and misfortune and till now the illusion of work is understood. By then it is too late. In time, if firm steps were taken for sense restraint, sex-sophistication, then the matter would have been different.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...