पुनर्जन्म
पुनर्जन्म का संबंध जन्म-मरण से सम्बद्ध है। हिन्दू धर्म में इस सिद्धांत के आधार पर कर्मफल की अवधारणा प्रस्तुत की गई है। पुनर्जन्म के इस सिद्धांत को सभी भारतीय प्राचीन ग्रंथों, जैसे - वेद, उपनिषद्, स्मृति, पुराण, गीता, योग में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। अंत नहीं है, अपितु यह जन्म-जन्मांतर की एक श्रृंखला है। जीवन की चौरासी लाख अथवा कोटि (प्रकार) की योनियों में जन्म लेने की बात इसमें कही गई है। जीव विभिन्न योनियों में जन्म लेता है और कर्मों को भोगता है।
The relation of reincarnation is related to birth and death. In Hindu religion, the concept of Karmaphal has been presented on the basis of this principle. This theory of reincarnation finds an important place in all Indian ancient texts like Vedas, Upanishads, Smritis, Puranas, Gita, Yoga. There is no end, but it is a series of birth after birth. It has been said about taking birth in eighty-four lakh or crore (types) of life. The soul takes birth in different species and experiences the Karmas.
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महर्षि दयानन्द की निष्पक्षता महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में लिखा है कि यद्यपि मैं आर्यावर्त देश में उत्पन्न हुआ और बसता हूँ, तथापि जैसे इस देश के मत-मतान्तरों की झूठी बातों का पक्षपात न कर यथातथ्य प्रकाश करता हूँ, वैसे ही दूसरे देशस्थ व मत वालों के साथ भी वर्तता हूँ। किसी वीतराग संन्यासी के इन शब्दों से यह...
महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...