परोपकार की भावना
परमार्थ के कार्य करना आसान बात नहीं है। इस मार्ग में अनेकानेक बाधाएँ आ खाड़ी होती हैं, जो मन को विचलित कर देती है। न जाने किन पुण्य कर्मों के प्रभाव से तो हमारे मन में परोपकार की भावना जाग्रत होती है। ऐसे में संगी-साथी उपहास करते हैं और तरह-तरह के लांछन व आरोप लगाकर हमें हतोत्साहित करते हैं। आजकल तो लोगों ने परोपकार को भी व्यवसाय बना लिया है और परमार्थ की आड़ में स्वार्थ साधने में लगे रहते हैं। इस स्थिति में एक सच्चे परोपकारी को अपनीई अस्मिता की रक्षा करना भी कठिन हो जाता है।
Doing charity work is not an easy thing. There are many obstacles and bays in this path, which disturbs the mind. Do not know that due to the effect of virtuous deeds, the feeling of benevolence is awakened in our mind. In such a situation, the companions ridicule and discourage us by making various slanders and allegations. Nowadays people have made philanthropy as a business and they are engaged in selfishness under the guise of charity. In this situation it becomes difficult even for a true philanthropist to protect his own identity.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...