व्यक्तिगत दृष्टिकोण
व्यक्तिगत दृष्टिकोण का परिष्कार करने के लिए जिस प्रकार पूजा-उपासना तथा पारिवारिक रीति-नीति को उत्कृष्ट बनाए रखने के लिए संस्कार प्रक्रिया है; ठीक उसी प्रकार समाज को समुन्नत और सविकसित बनाने के लिए सामूहिकता, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, नागरिकता, परमार्थपरायणता, देशभक्ति, लोक-मंगल जैसी सत्प्रवृत्तियाँ विकसित करनी पड़ती हैं। उन्हें सुस्थिर रखना होता है। वह भी बार-बार स्मरण दिलाते रहने वाला प्रसंग है। इसी प्रयोजन के लिए देव संस्कृति में पर्व-त्यौहार मनाए जाते हैं।
To refine the personal approach, as is the ritual process to keep the worship-worship and family customs excellent; In the same way, in order to make the society prosperous and developed, good attitudes like collectivism, honesty, conscientiousness, citizenship, charitableness, patriotism, public good have to be developed. They have to be stable. That too is an episode to be reminded of over and over again. For this purpose, festivals are celebrated in Deva culture.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...