मानसिक तप की क्षमता जीवन की सफलता को तय करती है और इस तरह से उपजे आंतरिक संतुलन के साथ जीवन में सफलता का ठोस आधार तैयार होता है और इसका कर्तव्यकर्म से सीधा संबंध रहता है। समग्र सफलता के लिए जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े कर्तव्यों का निर्वहन आवश्यक सोपान है। इनके प्रति आलस्य-प्रमाद जीवन में सार्थकता की अनुभूति से व्यक्ति को वंचित रखता है। अपने तन-मन एवं अंतरात्मा के साथ अपने परिवार, समाज, राष्ट्र एवं सकल मानवता के प्रति कर्तव्यों का पालन ही राजमार्ग है, जो व्यक्ति को गहरी संतुष्टि एवं सार्थकता का एहसास देता है।
The ability of mental tenacity decides the success of life and with the inner balance born in this way, a solid foundation of success in life is prepared and it is directly related to duty. Discharge of duties related to different areas of life is an essential step for overall success. Laziness towards them deprives a person of the feeling of meaning in life. Performing duties towards one's family, society, nation and total humanity with one's body, mind and soul is the highway, which gives a person a feeling of deep satisfaction and meaningfulness.
Mental Tenacity | Arya Samaj Indore Helpline, 9300441616 | Arya Samaj Indore | Arya Samaj Mandir Indore | Arya Samaj Marriage Indore | Inter Caste Marriage | Marriage Service by Arya Samaj Mandir | Arya Samaj Indore | Arya Samaj Marriage Helpline | Arya Samaj Vivah Lagan | Inter Caste Marriage Consultant | Marriage Service in Arya Samaj | Arya Samaj Inter Caste Marriage | Arya Samaj Marriage Indore | Arya Samaj Vivah Mandap | Inter Caste Marriage Indore Helpline | Marriage Service in Arya Samaj Mandir | Arya Samaj Intercaste Marriage | Arya Samaj Marriage Pandits | Arya Samaj Vivah Pooja | Inter Caste Marriage helpline Conductor | Official Web Portal of Arya Samaj | Arya Samaj Intercaste Matrimony | Arya Samaj Marriage Procedure
महर्षि दयानन्द की निष्पक्षता महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में लिखा है कि यद्यपि मैं आर्यावर्त देश में उत्पन्न हुआ और बसता हूँ, तथापि जैसे इस देश के मत-मतान्तरों की झूठी बातों का पक्षपात न कर यथातथ्य प्रकाश करता हूँ, वैसे ही दूसरे देशस्थ व मत वालों के साथ भी वर्तता हूँ। किसी वीतराग संन्यासी के इन शब्दों से यह...
महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...