समाधि
सपने में कोई स्थान नहीं होता, लेकिन समय होता है, काल होता है। सपने में भी दौड़ सकते हैं। आरामकुरसी पर लेटकर आँख बंद करके भी अनंत-अनंत यात्राएँ कर सकते हैं। वे यात्राएँ इच्छाओं की यात्राएँ और समय में घटित होती हैं। महावीर से कोई पूछता है - ''जब समाधि उपलब्ध हो जाती है तो हमारे भीतर से कौन-सी चीज निकल जाती है।'' तो वे कहते हैं- ''समय।'' समय जब हमारे भीतर से निकल जाता है, क्योंकि जिस व्यक्ति के भीतर समाधि फलित होती है, उसके भीतर इच्छा की दौड़ नहीं रह जाती है और उस दौड़ का जो मार्ग है, वह व्यर्थ हो जाता है, वह निकल जाता है।
There is no place in a dream, but there is time, there is time. You can run even in dreams. Lying on the armchair and closing your eyes, you can travel endlessly. Those journeys are travels of desire and happen in time. Someone asks Mahavira - "When samadhi is attained, what comes out of us." So he says - "Time." When time leaves us, because whatever happens. Samadhi results in a person, there is no longer a race of desire in him, and the path of that race becomes futile, it leaves.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...