मनुष्य एक सामाजिक प्राणी
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में उसकी वह स्थिति होती है, जो पानी में मछली की। जिस मछली के चारों और पानी जितना स्वच्छ, शुद्ध तथा गहरा होगा, वह उतनी ही स्वस्थ, प्रसन्न तथा सुखी रहेगी। इसी प्रकार मनुष्य का सामाजिक संबंध जितना घनिष्ठ एवं विस्तृत होगा, उसके सच्चे, सुयोग्य तथा सुहृद मित्रों की संख्या जितनी बड़ी होगी, उतना वह सुखी, संतुष्ट तथा प्रसन्न रहेगा। इसके विपरीत गंदे और उथले पानी के बीच जिस प्रकार मछली का जीवन कठिन एवं कंटकाकीर्ण हो जाता है, उसी प्रकार मित्रों की कमी अथवा गंदे, कुविचारी, विश्वासघाती, निकृष्ट एवं कुसंस्कारी मित्रों से घिरकर मनुष्य का जीवन तरस, असंतोष, हानि शोक-संतोष का भंडार बन जाता है।
Man is a social animal. He has that position in society, which is that of a fish in water. The more clean, pure and deeper the water around a fish, the healthier, happier and happier it will be. Similarly, the closer and broader the social relationship of a man, the greater the number of his true, worthy and kind friends, the more he will be happy, content and happy. On the contrary, just as the life of a fish becomes difficult and thorny in the midst of dirty and shallow water, in the same way the life of a man by being surrounded by dirty, mischievous, treacherous, bad and misogynistic friends is of longing, dissatisfaction, loss, grief and contentment. becomes a storehouse.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...