सहनशक्ति का ह्रास
प्रत्येक सद्गृहस्थ की आकांक्षा रहती है कि उसका परिवार खुशाल और प्रेमपूर्ण वातावरण में निर्वाह करे, पर वह इसके लिए उन्हें सद्गुणी बनाने की आवश्यकता की ओर ध्यान नहीं देता। ऐसी दशा में वह आकांक्षा अतृप्त ही रह जाती है और निर्धन व्यक्ति जिस प्रकार मन मसोते और अपने दुर्भाग्य को कोसते रहते हैं। दुर्गुणी परिवार के संचालक को भी अपनी व्यथा को हर घडी सहन करते रहना पड़ता है, पर इतने से भी तो कुछ काम चलने वाला नहीं है। बढ़ती हुई बुराई जब विस्फोट की स्थिति में पहुँचती है तो सहनशक्ति का ह्रास भी हो जाता है और जीवन नरक के प्रत्यक्ष दर्शन करने को विवश होना पड़ता है।
Every virtuous householder aspires that his family should live in a happy and loving environment, but he does not pay attention to the need to make them virtuous for this. In such a situation, that desire remains unsatisfied and the way poor people grieve and curse their misfortunes. The director of a dysfunctional family also has to bear his agony every hour, but even this is not going to work. When the growing evil reaches the state of explosion, then there is also a loss of stamina and one is forced to have a direct vision of life hell.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...