निरिक्षण-परिक्षण
नशेबाजों से लेकर आलसी-प्रमादी तक अनगढ़ लोग ऐसी ही भूलें करते रहते हैं। ताला खुला छोड़ देने पर जब वस्तुएँ गायब हो जाती हैं, तब अफ़सोस होता है। होना यह चाहिए कि हम सर्वथा बहिर्मुखी न रहें। प्रत्यक्ष भर को देखने वाले नर-पशु की श्रेणी में आते हैं। परोक्ष को देखने के लिए अंतर्मुखी होना चाहिए और ज्ञान-चक्षुओं में यह भीतर का परोक्ष निरिक्षण-परिक्षण सतत करना चाहिए। शरीर के भीतर क्या व्यथा है ? इसे चिकित्सक बताएँ, इससे पूर्व अंग-अवयवों की स्थिति पर ध्यान देकर स्वयं अधिक अच्छी तरह जाना जा सकता है और जिस भूल के कारण संकट उत्पन्न होने जा रहा था, उसे समय रहते रोका, सुधारा जा सकता है।
From drug addicts to lazy people, ignorant people keep on making similar mistakes. It's a pity when things disappear when the lock is left open. It should be that we should not be completely extroverted. Those who see the whole directly come in the category of male-animal. To see the indirect one should be introverted and this inward observation should be done continuously in the eyes of knowledge. What is the pain inside the body? Tell it to the doctor, before this, by paying attention to the condition of the organ-organs, it can be known better and the mistake due to which the crisis was going to arise, can be prevented, rectified in time.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...