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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज मन्दिर बैंक कालोनी अन्नपूर्णा इन्दौर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित इन्दौर में एकमात्र मन्दिर है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आर्यसमाज मन्दिर बैंक कालोनी के अतिरिक्त इन्दौर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Mandir Bank Colony Annapurna Indore is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Mandir Annapurna Indore is the only Mandir controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Indore. We do not have any other branch or Centre in Indore. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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बाहरी त्याग भी जरूरी

रागी पुरुष अर्थात् जिसकी विषय-भोगों में सुख-बुद्धि का पूर्णरूपेण त्याग नहीं हो सकता है उसके मन में वन में भी अनेकों दोष उत्पन्न होते हैं और जो ज्ञानी पुरुष विवेक वैराग्य के बल से, विषय भोगों में, दोष दर्शन व मिथ्यात्व दर्शन द्वारा तुच्छ भाव दृढ निश्‍चय करके, मन सहित इंद्रियों को वश में करके कर्त्तव्य कर्म प्रवृत्त है वे घर में ही तपस्वी हैं, उनका घर ही तपोवन है क्योंकि वास्तव में त्याग का सम्बन्ध तन से नहीं मन से है परन्तु तन का त्याग भी मन के त्याग में सहायक है। अतः तन से बाह्य त्याग की यथा योग्य करना आवश्यक है। सारांश यह है कि तन को संसार से नहीं निकालना है अपितु मन से संसार को निकालना है क्योंकि तन का संसार में रहना हानिकारक नहीं किंतु मन का संसार में फंसना हानिकारक है।

इसलिए - देहेन्द्रिय से कर्म करो, मन से रहो असंग।

             हानि लाभ में सम रहो, यही योग का अंग॥

यह मानव शरीर देखने में सुंदर है, कर्म, उपासना, ज्ञान द्वारा संसार सागर से पार होने की सुंदर नौका है। सत्यासत्य विवेक का महान साधन हे, अपनी विवेक शक्ति की प्रधानता से बड़े-बड़े शरीरधारी ऊंट, हाथी तथा सिंह जैसे बलवान प्राणियों पर भी शासन करता है। लोक-परलोक के आदि, अंत व मध्य का ज्ञाता है। चंद्र व तारों तक पहुँचने वाला तथा चंद्रलोक आदि पर भी शासन करने का साहस रखता है।

This human body is beautiful to look at, it is a beautiful boat to cross the ocean of the world through karma, worship and knowledge. It is a great means of discerning between truth and falsehood. With the supremacy of his discernment power, he rules over even the big creatures like camels, elephants and lions. He knows the beginning, end and middle of this world and the other world. He has the courage to reach the moon and stars and also rule over the moon world etc.

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    महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्‍लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...

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