चिरस्थायी
सुन्न मरै अजपा मरै, अनहद हु मरि जाए। राम सनेही ना मरै, कहै कबैर समुझाए।। - शब्द और अर्थ की दृष्टि से विचार करें, तो यह पद एकदम साधारण प्रतीत होता है; किंतु इसमें जो भाव-गम्भीर्य है, वह आसाधारण है। ज्ञानी सदा से कहते आए हैं कि दुनिया की कोई भी वस्तु चिरस्थायी नहीं। सब एक-न-एक दिन छूट जाती हैं। इसलिए व्यक्ति को धनार्जन नहीं, ज्ञानार्जन करना चाहिए, कारण वही अनश्वर और शाश्वत है। कबीर इससे भी एक कदम आगे बढ़कर कहते हैं कि ज्ञान, ध्यान, अनुभव- यह सब स्थिर नहीं। एक दिन यह भी छूटेंगे, मिटेंगे इ बचे रह जाएँगे सिर्फ ज्ञानी, ध्यानी, अनुभोक्ता।
Sunn mai ajpa mai mai, ahad hu mar jaye. Ram sanehi na marai, kair kabair explain. - If we consider from the point of view of words and meaning, then this post seems very simple; But the seriousness in it is extraordinary. The wise have always been saying that nothing in the world is permanent. Everyone leaves one day or the other. That's why a person should not earn money, but should earn knowledge, because he is immortal and eternal. Kabir goes one step ahead and says that knowledge, meditation, experience – all these are not stable. One day these will also be left, will be erased, only the knowledgeable, the meditative, the enjoyer will be left.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...