महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था। राष्ट्र प्रेम उनके लिए सर्वोपरि था। अपनी पुस्तक आर्याभिविनय में उन्होंने लिखा था कि अन्य देशवासी राजा हमारे देश में कभी भी शासन न करें। हम कभी पराधीन न हों। इस प्रकार महर्षि दयानन्द उन व्यक्तियों में से थे, जिन्होंने सर्वप्रथम भारत की स्वतन्त्रता की कल्पना की थी।
Maharishi Dayanand always laid emphasis on women's education and strongly opposed child marriage. After in-depth study and analysis of the ancient Arsh Gurukul system and education system, emphasis was laid on following the four Ashrams of Brahmacharya, Grihastha, Vanaprastha and Sannyasa. His entire life and work was full of spirituality.
Emancipation of Women and Dalits | Dayanand Saraswati | Mahaveer | Budhha | Nanak | Gandhi | Subhashchandra Bose | Arya Samaj Indore Helpline | Arya Samaj Legal Marriage Service Indore Helpline | Arya Samaj Marriage Registration Indore Helpline | Arya Samaj Legal Wedding Indore Helpline | Arya Samaj Marriage Rituals Indore Helpline | Arya Samaj Wedding Indore Helpline | Legal Marriage Indore Helpline | Arya Samaj Mandir Indore Helpline | Arya Samaj Marriage Indore Helpline
महर्षि दयानन्द की निष्पक्षता महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में लिखा है कि यद्यपि मैं आर्यावर्त देश में उत्पन्न हुआ और बसता हूँ, तथापि जैसे इस देश के मत-मतान्तरों की झूठी बातों का पक्षपात न कर यथातथ्य प्रकाश करता हूँ, वैसे ही दूसरे देशस्थ व मत वालों के साथ भी वर्तता हूँ। किसी वीतराग संन्यासी के इन शब्दों से यह...
महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...