भक्ति
भगवान को पाने का सबसे सहज व सरल मार्ग है भक्ति। भक्ति अर्थात भगवान के प्रति अगाध प्रेम, भगवान से असीम अनुराग, भगवान से निष्कपट, निश्छल, निष्काम प्रेम। निष्काम प्रेमी भगवान से कुछ नहीं चाहता। धन-दौलत, सुख-समृद्धि, ऋद्धि-सिद्धि, स्वास्थ्य-सौभग्य कुछ भी नहीं। यहाँ तक कि मुक्ति, मोक्ष, निर्वाण, कैवल्य भी नहीं। सकाम भक्त भगवान से कुछ पाने की इच्छा रखने के कारण अपने अस्तित्व को बनाए रखना चाहता है, इसलिए वह परमात्मासागर में उतर नहीं पाता, डूब नहीं पाता, वह परमात्मासागर में सीधे छलाँग लगा देने के बजाय सागर के बिना बैठकर परमात्मा से अपनी माँगों, इच्छाओं, कामनाओं की एक लंबी सूचि साझा करता रहता है।
Devotion is the easiest and easiest way to get God. Bhakti means immense love for God, infinite affection for God, sincere, innocent, selfless love for God. The selfless lover does not want anything from God. Money-wealth, happiness-prosperity, wealth-accomplishment, health-good luck nothing. Not even Mukti, Moksha, Nirvana, Kaivalya. Sakam devotee wants to maintain his existence because of his desire to get something from God, so he does not get into the divine ocean, does not drown, instead of jumping directly into the divine ocean, he sits without the ocean and talks to God about his demands, desires. , keeps sharing a long list of wishes.
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महर्षि दयानन्द की निष्पक्षता महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में लिखा है कि यद्यपि मैं आर्यावर्त देश में उत्पन्न हुआ और बसता हूँ, तथापि जैसे इस देश के मत-मतान्तरों की झूठी बातों का पक्षपात न कर यथातथ्य प्रकाश करता हूँ, वैसे ही दूसरे देशस्थ व मत वालों के साथ भी वर्तता हूँ। किसी वीतराग संन्यासी के इन शब्दों से यह...
महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...