संस्कृति और सभ्यता
संस्कृति और सभ्यता की मर्यादाएँ सदाचार, शिष्टाचार कहलाती हैं। अपने गुण, कर्म और स्वभाव को मानववीय सुव्यवस्था के अंतर्गत ढालने का प्रयत्न करने से ही मानवीय गरिमा की रक्षा होती है। इस दिशा में उपेक्षा बरतना और पशु-स्वभाव की अनगढ़पन की आदतें बनाए रहना दुष्प्रवृत्तियाँ कहलता है। इन्हे छोड़ने और पद के अनुरूप आचरण करने अभ्यास ही जीवन-साधना है। इस दिशा में बरती जाने वाली उपेक्षा को दूर करने को दुष्प्रवृति-निवारण कह सकते हैं।
The limits of culture and civilization are called morality, etiquette. Human dignity is protected only by trying to mold one's qualities, deeds and nature under human order. Neglecting in this direction and maintaining the habits of ignorance of animal nature are called vicious tendencies. Leaving them and practicing according to their position is the practice of life. Removing the neglect that is taken in this direction can be called vicious tendencies.
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महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...