भ्रष्टाचार
सबकी अपनी-अपनी दुकानें है। दुकान में सामान नहीं स्वयं बिकते है। कोई रिश्वत से बिकता है कोई स्वयं भ्रष्टाचार कर बिकता है, समाज में विद्वेष फैलाकर बिकता है। बिकाऊ वातावरण में बिकाऊ गरीबी को कौन दूर करें, कौन बात करे समाज के सम्पूर्ण विकास की। कुछ होता, तो दो आंसू निकल जाते हैं किसी असहाय महिला के जिसका बच्चा दो दिन में से बिन दूध के रोकर सो जाता है। मानव को मानव ही रहना होगा, वही उसकी अस्मिता है वही उसकी उपयोगिता है। स्वयं को क्रूर और भयानक सिद्ध करने का प्रयास करना सम्पूर्ण सृष्टि के लिये खतरनाक हो सकता है। विनम्रता सहृदयता, सहयोग और नैतिकता सभ्य का आधार बनें, इसके ऊपर ही समृद्धि का दिव्य और भव्य महल निर्मित हो।
सम्मान की इच्छा तब तक न करें जब तक हम दूसरों को सम्मान देना नहीं सीख लेते। यह सीख परम आवश्यक है। यदि प्राणिमात्र को सम्मान देंगे तो सहयोग की भावना भी विकसित होगी। सहयोग से हम दुखमय समाज को सुखमय बना सकते हैं। इन्सान बनने का प्रयास करें। ईश्वर ने हमने इन्सान बनने के लिये ही भेजा है।
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महर्षि दयानन्द की निष्पक्षता महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में लिखा है कि यद्यपि मैं आर्यावर्त देश में उत्पन्न हुआ और बसता हूँ, तथापि जैसे इस देश के मत-मतान्तरों की झूठी बातों का पक्षपात न कर यथातथ्य प्रकाश करता हूँ, वैसे ही दूसरे देशस्थ व मत वालों के साथ भी वर्तता हूँ। किसी वीतराग संन्यासी के इन शब्दों से यह...
महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...