स्वयं से संवाद
स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है। नकारात्मकता ने ही भ्रष्टाचार को शक्तिशाली बनाया है। लेकिन सकारात्मक दृष्टिकोण लाते ही नकारात्मक पहलू कमजोर दिखाई देते हैं। इन्हीं स्थितियों में हम बड़े-बड़े अनूठे काम कर गुजरते हैं। सकारात्मकता नैतिक साहस को बढाती है। आमतौर पर युगों को बदलने वाले नायकों में ऐसे ही लक्षण देखने को मिलते हैं। मनुष्य का कोरी नकारात्मकता से ही नहीं, सकारात्मकता से बहुत गहरा रिश्ता है। यह सकारात्मकता ही तो थी कि कपिल, कणाद, गौतम, व्यास, स्वामी दयानन्द जैसे ऋषि तथा महावीर, बुद्ध, नानक, गांधी, सुभाषचन्द्र बोस, अरविन्द जैसे महापुरुष बड़े उद्देश्य के लिए विलक्षणता एवं मौलिकता का प्रदर्शन कर पाए।
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महर्षि दयानन्द की निष्पक्षता महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में लिखा है कि यद्यपि मैं आर्यावर्त देश में उत्पन्न हुआ और बसता हूँ, तथापि जैसे इस देश के मत-मतान्तरों की झूठी बातों का पक्षपात न कर यथातथ्य प्रकाश करता हूँ, वैसे ही दूसरे देशस्थ व मत वालों के साथ भी वर्तता हूँ। किसी वीतराग संन्यासी के इन शब्दों से यह...
महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...