जन्म-मरण
भगवान कहते हैं समर्थन दृश्य जगत् मेरे अधीन है। यह मेरी इच्छा से बारम्बार स्वतः प्रकट होता है और मेरी ही इच्छा से अन्त में विनष्ट होता है। सारी की सारी योनियाँ सृष्टि के साथ ही उत्पन्न होती हैं। जीव के जन्म-मरण का क्रम पर्यन्त चलता रहता है। पूर्व प्रलय के समय जीवों की जो इच्छाएँ थीं, वे पुनः अगले जन्म में प्रकट होती हैं। जीव अपने पूर्व कर्मों के अनुसार विभिन्न योनियों में जन्म लेता है, भगवान इसमें कोई व्यवधान नहीं डालते।
God says support The visible world is under me. It manifests automatically again and again by my will and is destroyed in the end by my will. All the species of all are born with the creation. The cycle of birth and death of a living being continues till then. The desires that the living beings had at the time of the previous holocaust, they appear again in the next birth. The living entity takes birth in different forms according to his past actions, the Lord does not interfere with this.
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महर्षि दयानन्द की निष्पक्षता महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में लिखा है कि यद्यपि मैं आर्यावर्त देश में उत्पन्न हुआ और बसता हूँ, तथापि जैसे इस देश के मत-मतान्तरों की झूठी बातों का पक्षपात न कर यथातथ्य प्रकाश करता हूँ, वैसे ही दूसरे देशस्थ व मत वालों के साथ भी वर्तता हूँ। किसी वीतराग संन्यासी के इन शब्दों से यह...
महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...