वायुमंडल
वायुमंडल की विकृतियाँ धरती और जल पर उतरती हैं तथा उनमें भी ऐसे तत्व फैलते हैं, जो अन्न, जल को भी वायु की तरह विषाक्त करके जीवन संकट उत्पन्न करते हैं। यदि बिगाड़ने वाले हाथों को रोक सकने की सामर्थ्य न हो तो कम-से-कम सफाई की व्यवस्था तो करनी ही चाहिए। यह सरलतम और सफलतम उपचार है। हम उतना भी कुछ न करें और दूसरों के साथ जुड़े हुए अपने भाग्य-भविष्य को पीढ़ियों के निर्वाह को अंधकारमय बनाने में रोक-थाम न कर सकें तो यह दुर्भाग्य की बात होगी। यों होना यह भी चाहिए कि महाविनाश पर उतारू लोगों पर जनमत का दबाव डालें और इस सृष्टि का सर्वनाश करने वाले आततायियों एवं आतंकवादियों को मनमानी न करें दें।
Distortions of the atmosphere descend on the earth and water and such elements also spread in them, which poison food and water like air and create life crisis. If there is no ability to stop the spoiling hands, then at least arrangements for cleaning should be made. This is the simplest and most successful treatment. It will be a matter of misfortune if we do not do the same and prevent our fate-future associated with others from making the livelihood of generations dark. It should also happen that public opinion pressure should be put on the people who are on the verge of destruction and do not let the terrorists and terrorists who destroy this universe do anything arbitrary.
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महर्षि दयानन्द की निष्पक्षता महर्षि दयानन्द सरस्वती ने सत्यार्थप्रकाश की भूमिका में लिखा है कि यद्यपि मैं आर्यावर्त देश में उत्पन्न हुआ और बसता हूँ, तथापि जैसे इस देश के मत-मतान्तरों की झूठी बातों का पक्षपात न कर यथातथ्य प्रकाश करता हूँ, वैसे ही दूसरे देशस्थ व मत वालों के साथ भी वर्तता हूँ। किसी वीतराग संन्यासी के इन शब्दों से यह...
महर्षि दयानन्द ने महिलाओं की शिक्षा पर सदैव बल दिया तथा बाल विवाह का घोर विरोध किया। प्राचीन आर्ष गुरुकुल प्रणाली और शिक्षा पद्धति का गहन अध्ययन व विश्लेषण करके ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास इन चारों आश्रमों के पालन पर बल दिया। उनका सम्पूर्ण जीवन व कृतित्व आध्यात्मिकता से परिपूर्ण था।...
स्वयं से संवाद स्वयं से स्वयं के संवाद की जब स्थितियां नगण्य होती हैं तो नकारात्मकता देखने को मिलती है और भूलें बार-बार दोहरायी जाती हैं। हमेशा आपके आसपास ऐसे ढेरों लोग होते हैं, जो अपनी नकारात्मकता से आपको भ्रमित या भयभीत कर सकते हैं। ऐसे लोग हर युग में हुए हैं और वर्तमान में भी ऐसे लोगों का वर्चस्व बढ ही रहा है।...